sidh kunjika - An Overview
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श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे ।
ऐं-कारी सृष्टि-रूपायै, ह्रींकारी प्रतिपालिका।
aiṃ hrīṃ klīṃ chāmuṇḍāyai vichchē jvala haṃ saṃ laṃ kṣaṃ phaṭ svāhā ॥ 5 ॥
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ ३ ॥
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं website वूं वागधीश्वरी।
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
मनचाहा फल पाने के लिए ये पाठ कर रहे हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें. देवी की पूजा में पवित्रता बहुत मायने रखती है.
इसके लिए मां दुर्गा के समक्ष घी का दीपक जलाएं. इसे देवी की तस्वीर के दाईं तरफ रखें.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः